अंतरजाल की दुनिया और जीवन में मोहित शर्मा 'ज़हन' के बिखरे रत्नों में से कुछ...

Sunday, March 13, 2016

उदार प्रयोग - मोहित शर्मा ज़हन

Art - Barker Thomas

"पोराजिमोस बोलते हैं उसे, जर्मनी और उसके सहयोगी देशो में दूसरे विश्व युद्ध के दौरान नाज़ी सरकार द्वारा रोमानी जिप्सी समुदाय का नरसंहार। पता सबको था कि कुछ बुरा होने वाला है फिर भी मुस्कुराते हुए नाज़ी सिपाहियों को देख कर भ्रम हो रहा था। शायद जैसा सोच रहें है या जो सुन रहें है वह सब अफवाह हो। हज़ारो इंसानो को एकसाथ मारने वाले नाज़ी गैस चैम्बर असल में कोई कारखाने हों। भोले लोगो की यही समस्या होती है, वो बेवकूफ नहीं होते पर उन्हें बेवकूफ बनाना आसान होता है। मेरे 4 सदस्यों के परिवार पर एक अफसर को दया आ गयी उनसे पूरे परिवार को बचा लिया। हम सब उसके घर और बड़े फार्म में नौकर बन गए। 

2 समय का खाना और सोने की जगह मिल गयी, कितना दयालु अफसर था वह। कुछ हफ्तों बाद अफसर ने हमे बताया कि एक बड़े उदार जर्मन वैज्ञानिक हमारे जुड़वाँ लड़को को गोद लेना चाहते हैं। वो उनका अच्छा पालन-पोषण करेंगे। शायद फिर कभी अपने बच्चो को हम दोनों ना देख पाते पर उनके बेहतर भविष्य के लिए हमने उन्हें जाने दिया। उनके जाने से एक रात पहले मैं सो नहीं पायी। जाने से पहले क्या-क्या करुँगी, बच्चो को क्या बातें समझाउंगी सब सोचा था पर नम आँखों में सब भूल गयी। हमेशा ऐसा होता है, सोचती इतना कुछ हूँ और मौका आने पर बस ठगी सी देखती रह जाती हूँ। 

युद्ध समाप्त होने की ओर बढ़ा और हमे रूस की लाल सेना द्वारा आज़ाद करवाया गया। इंसानो के अथाह सागर में अपने बच्चो को ढूंढने की आस में जगह-जगह घूमे हम दोनों। किसी ने उस वैज्ञानिक के बेस का पता बताया। वहां पहुंचे तो हमारे कुपोषित बच्चे टेबल पर पड़े तड़प रहे थे। उनपर उस वैज्ञानिक ने जाने क्या-क्या प्रयोग किये थे। बच्चो का शरीर फफोलों से भरा था,  हाथ-पैरों से मांस के लोथड़े लटक रहे थे। उनकी आँखों से आंसूओं के साथ खून टपक रहा था। पता नहीं जान कैसे बाकी थी उन दोनों में....शायद मुझे आखरी बार देखने के लिए ज़िंदा थे दोनों। उन्हें गले से चिपटाकर रोने का मन था पर छूने भर से वो दर्द से कराह रहे थे। मैंने पास खड़े सैनिक की रिवाल्वर निकालकर दोनों बच्चो को गोली मार दी। उसके बाद मैंने कमरे में मौजूद सैनिको पर गोलियां चलाना शुरू किया। वो सब चिल्लाते रहे कि वो मेरी मदद के लिए आये हैं... पर अब किसी पर विश्वास करने का मन नहीं। मेरे पति मुझे पागल कहकर कर झिंझोड़ रहे थे, चिल्ला रहे थे। गुस्सा करना उनकी पुरानी आदत है, सिर्फ मुझपर बस चलता है ना इनका।"

अपने पति का गुस्सा अनसुना कर खून के तालाब के बीच, वह रोमानी-जिप्सी महिला बच्चो को सीने से लगाकर लोरी सुनाने लगी। 

समाप्त!

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