अंतरजाल की दुनिया और जीवन में मोहित शर्मा 'ज़हन' के बिखरे रत्नों में से कुछ...

Friday, August 14, 2015

Aazadi Poetry - #‎मोहित_ज़हन‬

बिना शिकन वो पूछ रहे "देश बर्बाद है! किस बात की आज़ादी? कैसी आज़ादी?"
कि कॉन्फिडेंस से पूरी क्रिकेट टीम पैदा कर लो.... 
कि सालों-दशको-सदियों पुराने "बदलो" के हिसाब में लड़-मरलो.... 
कि कुतिया में परिवर्तित होकर औरों का हक़ मारने में उसेन बोल्ट का रिकॉर्ड हरलो... 
और ज़िम्मेदारी निभाने में 'पहले आप - पहले आप' करलो...

कि न्यूज़ रिपोर्ट्स से देश को कोसते हुए AC में दूध ठंडा करलो....
अपने गिरेबां में झाँको तो पाओगे तुम हिन्द नहीं सोमालिया डिज़र्व करते हो सालो!

और अजब है अपना भारत भी...
जो इतने कमीनों के होते हुए भी 200 मुल्कों में डेढ़ सौ से बेहतर है अपनी "आज़ादी"
अनगिनत पाप की आज़ादी, आस्तीन के सांप की आज़ादी! 
जय हिन्द! First deserve, then desire...

P.S. Artwork from latest Kavya Comic "Desh Maange Mujhe"
— celebrating Indian Independence

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