अंतरजाल की दुनिया और जीवन में मोहित शर्मा 'ज़हन' के बिखरे रत्नों में से कुछ...

Friday, July 4, 2014

On Sachin-Sharapova Thing - Mohitness



हर देश के खेल में कुछ विख्यात प्रतीक होते है, भारत के लिये सचिन उन 2-4 प्रतीकों में से एक है, या यूँ कहें सर्वोच्च है (क्योकि मुख्यतः भारत खेलो में पिछड़ा रहा है अपनी औसत व्यवस्था की वजह से) जिसका ज़िक्र करोडो भारतीय, विदेशी मीडिया 25 वर्षो से कर रहे है, गाहे-बगाहे अंतरराष्ट्रीय डॉक्युमेंटरीज़ और रिकार्ड्स में सचिन का नाम आता रहता है। उदाहरण के लिये सर्बिया देश में बहुत से खेल खेले जाते है पर इस दौर में नोवाक जोकोविक और एना इवानोविक वहाँ के प्रतीक खिलाडी कहे जा सकते है, नब्बे के दशक में मोनिका सेलेस थी। तो भारत जैसे बड़े देश जिसके पास इतने दशको में अंतरराष्ट्रीय स्तर पर बड़े मुठ्ठी भर प्रतीक भी नहीं है हुए, उनमे से सबसे बड़े सिंबल को ना जानना अचरच की बात तो है ही। इतनी अपेक्षा लगभग सभी से रहती है की वो बड़े देशो के बड़े नामो के बारे में थोड़ा जाने, या कम से कम ऐसे नाम उन्होंने कभी कबार सुन रखें हो। रही ट्विटर के हल्ले की बात तो लोगो को अपना रूटीन तोड़ने के लिए कुछ चाहिए होता है इसलिए वो जोक्स, मेमे आदि बना रहे है (इक्का-दुक्का जज़्बाती फैंस असल में गुस्सा है) पर ऐसा कोई आंदोलित आक्रोश नहीं है कहीं इस विषय पर, बाकी का हौवा मीडिया की वायरल ट्रेंड्स ट्रैकिंग की आदत का नतीजा है। उसपर आदतानुसार ज़बरदस्ती नारीवाद को घुसेड़ना सोने पे सुहागा।

दिक्कत हम लोगो में अपना हाल और जानकारी ना देखने के अलावा बहुत जल्द निष्कर्ष पर कूदना और उटपटांग तुलना की भी है। मैंने मारिया पर जोक्स से ज़्यादा भारतीय "ब्रॉड माइंडेड" लोगो की ट्विटर पर सचिन फैंस को कोसती पोस्ट्स देखी जिसमे मुझे स्यूडो-बुद्धिजीवियों की बहती गंगा में हाथ धोने की पुरानी आदत दिखी ("देखो मैं कितना/कितनी समझदार, समाजसेवी, संवेदनशील हूँ"......नहीं जी, नहीं हो!!! जहाँ ज़रुरत होती है वहाँ से कोसो दूर बस इस डिजिटल दिखावे पर हो।), जो ऐसे मौको की ही तलाश में रहते है। गलत वो भी है और आप भी, पर आपके इंतज़ाम यूँ है की आपको कोई कोस नहीं सकता।‪#‎sachin‬ ‪#‎sharapova‬

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