अंतरजाल की दुनिया और जीवन में मोहित शर्मा 'ज़हन' के बिखरे रत्नों में से कुछ...

Friday, May 24, 2013

आप और खाप (Bonsai Kathayen)

 Another informative story on the sensitive issue of Khap Panchayats from my book Bonsai Kathayen.



दोस्तों आमिर खान द्वारा होस्ट किया गया कार्यक्रम "सत्यमेव जयते" एक अच्छी पहल थी सामाजिक मुद्दों पर प्रकाश डालने की पर इस कार्यक्रम की कमी यह थी की एक पहलू दिखाने के चक्कर में मुद्दे से जुड़ीं बाकी साइड्स यह कार्यक्रम सिरे से नकार देता था। जैसे खाप पंचायतों का मुद्दा। मुझे कभी-कभी बुरा लगता है जब लाखों-करोड़ो लोग अधूरी जानकारी लेकर आंदोलन करते है या अपने स्तर से व्यवस्था को अपने नज़रिये के हिसाब से बदलने पर जोर डालते है।

हिंसा कर चुकी कुछ दिशाहीन खाप पंचायतो की मै निंदा करता हूँ और उन्हें भारत के संविधान विरुद्ध मानता हूँ पर फिर वही सवाल कुछ की सज़ा सबको क्यों? सरकारी महकमे और कई लालची समाज सेवी संगठन अपने धंधे और टारगेट पूरे करने के लिये अक्सर खुद से ही पीड़ित बनाकर बाहर से खबर पा रही देश-दुनिया की जनता का गुस्सा बढ़ाते है ....कानून बदलते है और निर्दोषों को अपराधियों की तरह देखा जाता है। जागरूकता की कमी की वजह से वो अपनी बात ठीक से नहीं रख पाते या उन्हें मामला पता चलने तक देर हो जाती है इसका हिसाब कौनसा सीरियल देगा? कोई नहीं! क्योकि ये दिखाना तो छोटी सोच कहलायेगा ना?

इस विषय पर यह खाप की जानकारी सहित कहानी लिखी है।

** आप और खाप **

नये सेशन मे एक बड़े कॉलेज के परास्नातक कोर्सेज मे दाखिला लेकर वहाँ के हॉस्टल मे एक रूम मे आयीं 2 अजनबी लडकियाँ मिली।

"हेल्लो! आई ऍम श्रुति ....फ्रॉम अहमदाबाद, गुजरात, आप कहाँ से हो?"

"हाय! आई ऍम अदिति। मै हरियाणा से हूँ।"

2-3 दिनों मे बातों-बातों मे ही दोनों की अच्छी दोस्ती हो गयी। दोनों खुश थी की चलो अपने मन की ठीक-ठाक रूममेट मिल गयी।
एक दिन बातों ही बातों ही बातों मे .....

श्रुति - "वैसे सुना है हरियाणा साइड लड़कियों के लिए नरक है ...खाप पंचायतो का बड़ा टेरर है वहाँ ...सेक्स रेशो घट रहा है ..."

श्रुति ने खाप के और हरियाणा के कुछ दर्दनाक वाकये सुनाये, फिर अदिति से रहा नहीं गया।

अदिति - "देखो श्रुति, जो घटनाएँ तुमने सुनी सब सच है पर मेरी बात ध्यान से सुनना। खाप एक बहुत बड़े समुदाय और सामाजिक प्रणाली का नाम है जो सिर्फ हरियाणा ही नहीं बल्कि उत्तर प्रदेश, राजस्थान, पंजाब मे फैली हुई है, जिसकी जड़ें प्राचीन काल मे मिलती है। सब खाप मिलाओगी तो उनमे हजारो गाँव-कसबे तक आते है, अब तुम किस खाप की बात कर रही चौहान खाप की जिसमे 84 गाँव है या भाटी खाप की जिसमे 360 गाँव है। ऐसे ही अहलावत, राठी, तोमर, कसाना, कलसियां, पंवार, बल्यान, नागर, छोकर, रावल, करहाना, बेन्सला, बाटर, पोनिया और ऐसी बहुत सी खाप है और हर खाप मे कम से कम 84 गाँव होते है। जब भी इतने बड़े क्षेत्र से कोई घटना निकलती है और विशाल "खाप" समुदाय को इसका ज़िम्मेदार ठहराना ठीक नहीं। जेंडर रेशो घट नहीं रहा है ढाई करोड़ की जनसँख्या वाले हरयाणा मे 2001 जनगढ़ना मे 861/1000 था और 2011 मे ये बढ़कर 877/1000 हो गया, इतनी जनसँख्या वाले राज्य मे 10 सालो मे 16/1000 की वृद्धि हुई है क्या ये एक पॉजिटिव बात नहीं? बदलाव आ रहे है बशर्ते आप अपना भेदभाव करने वाला चश्मा हटाकर देखो। अब 10-15 सालो मे सब ठीक हो जाए ऐसा कैसे हो सकता है। ये कुछ वैसा ही है जैसे बिना जाने विदेशो मे कई लोग आज भी यह समझते है की भारत हाथियों और ज़हरीले सांपो से भरा हुआ है हाँ, पुराने रुढ़िवादी तरीकों मे कुछ कमियाँ है पर जैसा मैंने कहा सदियों कि इस व्यवस्था मे सुधार मे कुछ दशक तो लगेंगे ....वो भी तब जब आप उस प्रणाली मे रह रहे लोगो को समझो और उन्हें साथ लेकर चलो। उन्हें एक विलेन फिगर बनाकर और उन्हें कोसने से आप बाहरी कानून बदल सकते हो और दूसरो के सामने अपने आप को संवेदनशील, ब्रोड-माइंडेड कहलवा सकते हो पर अंदर की व्यवस्था को नहीं बदल सकते।

इन क्षेत्रो से भारी मात्रा मे खाद्य सामग्री, धान, फसलें, दुग्ध उत्पाद आते है जो अधिक घनत्व वाले दूसरे राज्यों मे जाते है, वो राज्य जो अधिक जनसँख्या की वजह से अपनी ज़रूरतें पूरी नहीं कर पाते। यहाँ हजारो सरकारी और प्राइवेट योजनायें बहुत अच्छे ढंग से चल रही है, जैसे हाल की मनरेगा योजनाओ मे इन गाँवों का अच्छा योगदान रहा है। यहाँ की भी अपनी स्थानीय परंपरा, रीतियाँ, बातें, हथकरघा, खाद्य उत्पाद है जिनका सम्मान होना चाहिए कुछ बातों की आड़ मे पूरे समुदाय को ढकना और वहाँ से जुड़े हर व्यक्ति को एक तराजू पर तोलना कहाँ तक सही है? अपनी राय बनाओ पर मसालेदार न्यूज़ रिपोर्टस पर नहीं बल्कि सभी तथ्यों पर वो भी सभी पहलू जानने के बाद। हर जगह की तरह वहाँ भी सुधारों की ज़रुरत है पर वो दानवों कि प्रजाति नहीं है जैसी छवि वहाँ से दूर अपने स्टूडियोज मे बहस जीतने वाले बुद्धिजीवी ....आम जनता पर थोपते है।"

श्रुति - "ओह . .मा-मा ...तुम्हे ये सब कैसे पता?"

अदिति - "शायद मैंने अपना पूरा नाम नहीं बताया ....अदिति राठी, मै एक खाप कसबे से ही आयी हूँ।"

The End!

- Mohit Trendster

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