अंतरजाल की दुनिया और जीवन में मोहित शर्मा 'ज़हन' के बिखरे रत्नों में से कुछ...

Sunday, May 26, 2013

भारत से बड़ी BCCI (Asian Games 2010, Guangzhou)


BCCI (Board of Control for Cricket in India) कई बार देश के लिए नहीं पैसे के लिए बनी संस्था लगती है। फिक्सिंग का मुद्दा तो 1999 के बाद से हमेशा से रहा है पर आप लोगो के साथ एक किस्सा और बाँटना चाहता हूँ। 2010 मे एशियाई खेलो मे क्रिकेट भी शामिल था अपने टी-ट्वंटी फॉर्मेट में जहाँ सिर्फ एशिया की परिधि होने के कारण अधिकतर देशो की टीम अंतरराष्ट्रीय लेवल के हिसाब से कमज़ोर थी। उनमे कुछ टीमों के नाम बताता हूँ मलेशिया, जापान, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, होंग कोंग, मालदीव्स, चीन।

गोल्ड मैडल जीता बांग्लादेश ने सिल्वर मैडल अफगानिस्तान के हिस्से आया। भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने बहाना दिया की उसकी पहले से ही विदेशो मे सीरीज तय है, बिजी शीड्युल की वजह से खिलाड़ी थक गये है तो वो टीम नहीं भेज सकती। देश के लिए मैडल लाने की कोई इच्छा नहीं? चलो मुख्या टीम नहीं भेज सकते तो टीम से बाहर भी दर्जनों प्रतिभावान खिलाड़ी बैठे थे उनकी टीम बना देते। पाकिस्तान और श्रीलंका की टीमें भी विदेशों के टूर पर थी पर उन्होंने दोयम दर्जो की टीम भेजी जिस वजह से पाकिस्तान को कांस्य पदक भी मिला। भारत ने वो भी नहीं किया ....क्यों? पैसा ...देश के आगे पैसा! महिलाओं मे भी टीम नहीं भेजी गयी नतीजा यह हुआ की इस श्रेणी मे भी पाकिस्तान, बांग्लादेश और जापान जैसी टीम पदक ले गयीं।

दुर्भाग्य की बात है की इस राष्ट्रद्रोह जैसी बात को ना मीडिया ने तवज्जो दी, ना खेल मंत्रालय और ना देश के नेताओ ने। आखिर ये भारत देश की क्रिकेट टीम थी या भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड की जिसके पैसों के आगे कोई तर्क नहीं चलता?

हजारो नेशनल, इंटरनेशनल रिटायर्ड क्रिकेट खिलाडियों को पेंशन, नए खिलाडियों के लिए कैम्प्स, दुसरे खेलों को प्रोत्साहन जैसी चीज़ें भारतीय कण्ट्रोल बोर्ड करता है पर दुनिया की सबसे अमीर खेल संस्थाओं मे से एक होने के नाते वो भी भारत जैसे विकासशील देश मे (बाकी अमीर संस्थायें यूरोपी एवम अमेरीकी विकसित देशों में है), उस से और भी उम्मीदें है साथ ही उसकी कमियाँ जैसे भ्रष्ट्राचार, अपने अधिकारों और पैसो का अनुचित प्रयोग उसे बंद करना चाहिये।

लोगो के रवैये पर भी दुख है मसलन IPL एक घरेलु लीग है उसके छोटे मैच पर भी इतना हल्ला, उत्सव जैसा माहौल जबकि अंतरराष्ट्रीय एशियन गेम्स, राष्ट्रमंडल खेलों की भनक तक नहीं। कुछ खुद को "खेलो का दीवाना" कहने वालो के सामान्य ज्ञान पर हँसी आती है फिर निराशा भी होती है।



- मोहित शर्मा (ट्रेंडी बाबा)

No comments:

Post a Comment