अंतरजाल की दुनिया और जीवन में मोहित शर्मा 'ज़हन' के बिखरे रत्नों में से कुछ...

Sunday, October 28, 2012

अपवित्र (Apavitra) [2008] Shakti

Originally Posted on RC Forums (Year 2008)

पृथ्वी पर राज करने की मंशा लेकर राक्षश ज़ाति के कुछ दानव पाताल से धरती पर आ जाते है. उन्होंने एक छोटे से द्वीप के कबीलों पर अत्याचार करके वहां के लोगो को गुलाम बना कर अपना अभियान शुरू ही किया था की उनके रास्ते मे कबीलों की पीड़ित महिलाओं की पुकार सुन कर आ गई नारी ज़ाति की रक्षक शक्ति. शक्ति के सामने उन दानवो की कोई भी युक्ति या शक्ति नही चल पा रही थी. आख़िरकार, उन दानवो को वापस पाताल भागना पड़ा.

तब वो राक्षश योजना बनाते है की शक्ति की इन बड़ी शक्तियों को ख़त्म कर दिया जाए. एक कबीले के कुल देवता को हर हज़ार सालो मे के बार 100 नारी जानवरों की बलि देने का रिवाज़ था. बलि ना मिलने पर पूरे कबीले का विनाश हो जाता. किवदंतियों के अनुसार बलि देने से रोकने वाले को भी देवता मार देते थे. दानव योजना अनुसार ये ख़बर सर्वव्यापी कर देते है जिससे शक्ति को पहले ही इस रिवाज़ का पता चल जाता है और वो बलि देने से रोक देती है. फिर उस कबीले के क्रोधित देवता प्रकट होते है. लेकिन शक्ति उन्हें कुछ क्षण रुकने को कहती है और कुछ ही देर मे वो दुनिया भर से कई मरणासन (कुछ ही seconds मे मरने वाली) जानवरों (females) को बलि के लिए ले आती है. कबीले के देवता बलि स्वीकार करके चले जाते है और उन दानवो की पहली योजना विफल हो जाती है.

उनमे से एक राक्षश को शाप था की वो जिस भी जीवित वस्तु को स्पर्श कर लेगा वो अपवित्र हो जायेगा. वो राक्षश नारियों पर अत्याचार करके शक्ति को बुलाता है और फिर शक्ति से मुतभेड करता है और मरते - मरते उसे छू लेता है. शक्ति का शरीर भी अपवित्र और निस्तेज हो जाता है और उसकी सारी शक्तियां बेहद साधारण रह जाती है. उसके बाद वो सभी दानव फिर से धरती पर आकर उन्ही कबीलों से शुरुआत करते है. शक्ति द्वारा वहां भेजे गए शक्ति के प्रतिरूप भी दानव ख़त्म कर देते है फिर वो शक्ति को भी बेबस कर देते है पर किसी तरह शक्ति वहां से बच निकलती है. दानव इसे अपनी जीत मान लेते है और अपने अत्याचारों को बढ़ा देते है और जल्द ही बहुत से कबीलों पर अपना राज फैला देते है. इस लड़ाई की वजह से उसकी शक्तियां और भी कम हो जाती है. शक्ति बहुत ही असहाय महसूस कर रही थी.

फिर वो सोचती है की गंगा जी सभी के पाप और अपवित्रता धो देती है. शक्ति की ये अपवित्रता भी गंगा नदी के स्पर्श से धुल जायेगी. लेकिन ऐसा करने से उसकी अपवित्रता गंगा जी मे मिल जायेगी. और शाप की वजह से गंगा जी के विलुप्त होने का खतरा था. शक्ति एक भक्त से गंगा जल की की थोडी मात्रा अपने लिए मांगती है और उससे अपने शरीर पर छिड़क लेती है. लेकिन उसकी शक्तियों मे इसके बाद भी थोड़ा ही सुधार हुआ था. वो बड़ी मुश्किलों से दुनिया भर की नारियों की मदद कर रही थी. तभी शक्ति को एक नारी की पुकार सुनाई देती है जिसे सती प्रथा के तहत जलाया जा रहा था. शक्ति बड़ी मुश्किल से उससे आग से बीच से निकाल कर गाँव वालो से बचाती है. लेकिन वो औरत शक्ति के हाथो मे दम तोड़ देती है. शक्ति का क्रोध जाग उठता है. तब उसे याद आता है की उस दानव ने तो सिर्फ़ चंदा रुपी उसके शरीर की खाल को छुआ था. तब शक्ति चंदा रुपी अपने शरीर की खाल को उतार कर तुंरत ही 1 क्षण मे उस मरी हुई औरत के अंश से ख़ुद पर खाल का आवरण चढा लेती है. उसके बाद उसकी सभी शक्तियां वापस आ जाती है और वो उन दानवो का अंत करती है और उन गाँव वालो को सज़ा देती है जिनकी वजह से उस मासूम औरत की जान गई थी.

The End!

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